भगवान तेरा इन्सान || Bhagwan tera insan ||DSS Bhajan Lyrics

टेक :- भगवान तेरा इन्सान देखले है कितना नादान।
अजी इसे तो झूठ साच की जरा नहीं पहचान।
1. मेरी मेरी हरदम करता, मैं मेरी का लेखा भरता।
पाप पुण्य दोनों ही बेड़ी, देना पड़े भुगतान।
देखले है कितना नादान...

2. दु:ख-सुख इसको जो भी आए, खुशी खुशी न झोली पाए।
सीस झुका न सतगुरु आगे, ना माने उसका भान।
देखले है कितना नादान...

3. लोभ में जल कर क्यों दु:ख पाए,
जैसा मिले न वैसा खाए।
सतगुरु शरण में रहे न बन्दा,
रहा हुक्म न उसका मान। देखले है कितना नादान...

4. शरण गुरू की जिसने लीती, जान हवाले अपनी कीती।
और नहीं दुनियां में कोई, इस से बढ़ कर दान।
देखले है कितना नादान...

5. शूरवीर कौरों के भाई, तिन की देही गीद्ध न खाई।
राज-भाग में क्या है इसका क्यों करता अभिमान।
देखले है कितना नादान...

6. कारूं ने जब जोड़ी माया, पास बिठा उसको समझाया।
चाली गंज लुटाए उसने, हुक्म लिया जब मान। देखले है...

7. रावण मन्दिर सोन बनाया, मन अपना माया संग लाया।
लम्बे दावे बाँधता फिरता, दो दिन का मेहमान।
देखले है कितना नादान...

8. ‘शाह सतनाम जी’ सोवत, जागत,
ध्यान चरणों में हरदम राखत।
सब सुख देने वाला इसको, सतगुरु बड़ा महान।
देखले है कितना नादान...
भगवान तेरा इन्सान देखले है कितना नादान।
अजी इसे तो झूठ साच की जरा नहीं पहचान।

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