तर्ज :- जीआ बेकरार है...
टेक :- मानस जन्म की बार है, करना भवजल पार है।
जीवन सफल बना लै बन्देआ, एहो तेरी कार है।
1. देवी देवते सारे बन्देआ, इस जूनी को तरसें हो।
बार बार यह हाथ नहीं आती, गुजरन लाखों बरसे हो,
गुजरन लाखों बरसे हो। मानस जन्म...
2. पूंजी दे के स्वासां वाली, इस दुनियां में घलेया जी।
सच्चा सौदा करना था, सब कूड़े करके चलेया जी,
सब कूड़े करके चलेया जी। मानस जन्म...
3. बहुत कीमती इक-इक श्वासा,
भगत कबीर जी कह गए ने।
बेसमझी के कारण बन्दे, खाण-सौण में रह गए ने,
जी खान-पीन में रह गए ने। मानस जन्म...
4. धर्मराज जब लेखा माँगे, फिर क्या बात सुनाएगा।
समय हाथ नहीं आना तेरे, बार-बार पछताएगा,
जी बार-बार पछताएगा। मानस जन्म...
5. दु:ख नर्कों के पहले पा कर, फिर जूनों में जाएगा।
लाख चौरासी जून भुगतकर, फिर मानस बन आएगा,
जी फिर मानस बन आएगा। मानस जन्म...
6. ‘शाह सतनाम जी’ जपले जल्दी, जे चक्कर में पडऩा नहीं।
कर सेवा सुन साध-संगत, कुछ धर्मराज ने कहना नहीं,
कुछ धर्मराज ने कहना नहीं। मानस जन्म...।।
टेक :- मानस जन्म की बार है, करना भवजल पार है।
जीवन सफल बना लै बन्देआ, एहो तेरी कार है।
1. देवी देवते सारे बन्देआ, इस जूनी को तरसें हो।
बार बार यह हाथ नहीं आती, गुजरन लाखों बरसे हो,
गुजरन लाखों बरसे हो। मानस जन्म...
2. पूंजी दे के स्वासां वाली, इस दुनियां में घलेया जी।
सच्चा सौदा करना था, सब कूड़े करके चलेया जी,
सब कूड़े करके चलेया जी। मानस जन्म...
3. बहुत कीमती इक-इक श्वासा,
भगत कबीर जी कह गए ने।
बेसमझी के कारण बन्दे, खाण-सौण में रह गए ने,
जी खान-पीन में रह गए ने। मानस जन्म...
4. धर्मराज जब लेखा माँगे, फिर क्या बात सुनाएगा।
समय हाथ नहीं आना तेरे, बार-बार पछताएगा,
जी बार-बार पछताएगा। मानस जन्म...
5. दु:ख नर्कों के पहले पा कर, फिर जूनों में जाएगा।
लाख चौरासी जून भुगतकर, फिर मानस बन आएगा,
जी फिर मानस बन आएगा। मानस जन्म...
6. ‘शाह सतनाम जी’ जपले जल्दी, जे चक्कर में पडऩा नहीं।
कर सेवा सुन साध-संगत, कुछ धर्मराज ने कहना नहीं,
कुछ धर्मराज ने कहना नहीं। मानस जन्म...।।