तर्ज :- रुक जा ओ जाने वाले रुक जा...
टेक :- जपले सतगुरु का नाम जपले,
नाम ही आएगा तेरे काम रे।
जे न नाम जपें सतगुर का,
दरगाह में होवें बदनाम रे।।
1. धन दौलत जोड़े तूं, सब माल पराया है।
खाली हाथों से जाना है, लेके बड़ा कुछ आया है। जपले...
2. जिस माया का मान करे, यह बादल की छाया है।
तेरे साथ न जाएगी, क्यों वक्त गंवाया है। जपले...
3. और साथ तो जाना क्या, इस काया ने जाना नहीं।
यह पुत्र, पुत्रियां प्यारे, किसी साथ निभाना नहीं। जपले...
4. तेरा सतगुर सच्चा मित्र, एथे ओथे नाले* है।
दु:ख मुसीबत जहां पड़ती, सतगुर आप सम्भाले है। जपले...
5. सतगुर के मिलने लिए, आई मानस जन्म की बारी।
फंस के बीच माया के, की कूड़ी दुनियां प्यारी। जपले...
6. बन्दे सब पर दया कर तूं, न कर मान जवानी का।
यह जीवन तेरा है, इक बुलबुला पानी का। जपले...
7. सतगुर ने भेजा था, अच्छे कर्म कमाने को।
एथे आ के तूं लगेया, माया के बनाने को। जपले...
8. ‘शाह मस्ताना जी’ कहते थे, वो घड़ी भी आएगी।
सतगुर के नाम बिना, तेरी खाल छिली जाएगी। जपले...
9. ‘शाह सतनाम जी’ कहते हैं, क्यों सोझी करता नहीं।
रस नाम का लेना जे, क्यों जीवत मरता नहीं। जपले...।।